✨प्रस्तावना✨
"वो कहते हैं न, कि लड़कियां कमजोर होती हैं...
पर मैंने तो देखा है-
एक लड़की अपने टूटने की आवाज़ भी अंदर ही दबा लेती है,
और जब दुनिया उसे गिरा देती है,
तब वो जमीन से नहीं अपनी जिद से उठती है।"
कुछ कहानियां किताबों में नहीं लिखी जातीं, वें वक्त के थपेड़ों में गढ़ी जाती हैं, और जब कोई लड़की इन थपेड़ों से निकलकर चुपचाप खड़ी हो जाती है, तो उसकी खामोशी सबसे ऊँची आवाज़ बन जाती है।
यह कहानी है जानवी की -
जो एक छोटे से गांव की बेहद शांत, समझदार, और पढ़ाई में डूबी रहने वाली लड़की थी। वह बड़ी तो हुई सपनों के साथ, पर हालातों ने हमेशा उसे जमीन पर टिकाए रखा। ना उसे घूमने-फिरने का शौक था, ना ही महंगे सपनों का लालच। उसे बस एक ही चीज़ से प्यार था और वो था खुद को बेहतर बनाने की तड़प ।
वो प्रोफेसर बनना चाहती थी, क्योंकि उसे लगता था कि ज्ञान ही वो रास्ता है जिससे बदलाव लाया जा सकता है। लेकिन जब उसने पिता की आंखों में गर्व की वो चमक देखी, तो उसने अपने सपनों की दिशा ही बदल दी। अब उसका लक्ष्य सिर्फ निजी सफलता नहीं था-
अब वो बनना चाहती थी IAS, ताकि उसका जीवन हर उस लड़की के लिए प्रेरणा बन सके, जिसे दुनिया ने कभी 'कमजोर' कहा। लेकिन ये सफर कोई आसान राह नहीं था। उसने जब संघर्षों की ओर पहला कदम बढ़ाया, तभी जिंदगी ने एक और कसौटी सामने रख दी, और वो थी उसके पिताजी की दुनिया से रुखसती। एक स्तंभ जो अब तक उसको अपनी छांव में रख रहा था, वो अचानक टूट गया। घर की ज़िम्मेदारियों, आर्थिक तंगी, और तैयारी की तपस्या।
जानवी अब एक नहीं, सौ मोर्चों पर अकेली थी। और इसी अकेलेपन में, जब दिल थोडा समझदारी से उस मनःस्थिति को सुधारने लगा, तभी एक रिश्तेदार पंकज उसके जीवन में धीरे-धीरे दाखिल होने लगा। प्यार के शब्दों में लिपटी हुई ऐसी परछाई सामने दस्तक दे रही थी जो शुरुआत में तो सहारा लगा, फिर धीरे-धीरे एक भ्रम में बदलने लगा। वो तब दूर हुआ, जब जानवी को उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। जिस वक्त एक सच्चे साथी को आकर उसे थामना चाहिए था, वो बस खामोश हो गया।
जानवी टूटती रही, लेकिन उसे समेटने कोई नहीं आया, सिवाय एक उस इंसान के, जो न तो उसका खून था, न ही कोई जन्मी रिश्ता, लेकिन उससे भी बढ़कर था, उसका मुंहबोला भाई, शौकीन ।
वो हजारों किलोमीटर दूर था, पर उसकी बातों में वो ताकत थी जो जानवी की हिम्मत को फिर से खड़ा कर देती थी। वो कहता था,
"तू आम नहीं है बहना, तू तो मिसाल है।
जिस दिन तू खुद को समझ लेगी, दुनिया तुझे नजरअंदाज करना छोड़ देगी।"
भाई के शब्दों में जो प्रेम था, उसमें कोई स्वार्थ नहीं था। ना किसी रिश्ते का बोझ, ना किसी वादे का डर, बस एक भरोसा था, जो हर-रात जानवी को किताबों के सामने फिर से बैठा देता था।
उसने पंकज के इग्नोर करने को भी अब कमजोरी नहीं, बल्कि आग बना लिया था। हर बार जब वो दिल तोड़ता, तो वो खुद से कहती -
"अब किसी को जवाब नहीं चाहिए... अब मुझे रैंक चाहिए।"
और जब सफलता की सुबह आई, तो जानवी ने किसी को फोन नहीं किया... वो सीधी पापा की तस्वीर के सामने गई, और बस यही कहा:
"आपकी बेटी अब मिसाल बन गई है, पापा।"
यह कहानी, एक लड़की के IAS बनने की नहीं है। बल्कि यह उस भावनात्मक आंधी की कहानी है जिसमें वह घिरी थी, उस समाज की कहानी है जिसने उसे हर बार रोका था, हर उस रिश्ते की कहानी है जिसने उसे तोड़ा था, और उस भाई की कहानी है जिसने उसे हर बार कहा "तू रुक मत, तू शेरनी है।"
यह कहानी है उस संघर्ष की जिसमें हार को अपनी पहचान बनने से पहले ही हरा दिया गया। यह कहानी है उस लड़की की जिसने ये साबित कर दिया कि
धूप में खिलना अगर किसी ने सीखा है,
तो वो सिर्फ वही लड़की हो सकती है
जो खुद अपनी सबसे बड़ी ताकत बनती है।